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उसकी वारिस एक बेटी || moral story

एक इलाके में एक भले आदमी का देहांत हो गया लोग अर्थी ले जाने को तैयार हुये और जब उठाकर श्मशान ले जाने लगे तो एक आदमी आगे आया और अर्थी का एक पाऊं पकड़ लिया। और बोला के मरने वाले से मेरे 15 लाख लेने है, पहले मुझे पैसे दो फिर उसको जाने दूंगा। अब तमाम लोग खड़े तमाशा देख रहे है, बेटों ने कहा के मरने वाले ने हमें तो कोई ऐसी बात नही की के वह कर्जदार है, इसलिए हम नही दे सकतें मृतक के भाइयों ने कहा के जब बेटे जिम्मेदार नही तो हम क्यों दें। अब सारे खड़े है और उसने अर्थी पकड़ी हुई है, जब काफ़ी देर गुज़र गई तो बात घर की औरतों तक भी पहुंच गई। मरने वाले कि एकलौती बेटी ने जब बात सुनी तो फौरन अपना सारा ज़ेवर उतारा और अपनी सारी नक़द रकम जमा करके उस आदमी के लिए भिजवा दी और कहा के भगवान के लिए ये रकम और ज़ेवर बेच के उसकी रकम रखो और मेरे पिताजी की अंतिम यात्रा को ना रोको। मैं मरने से पहले सारा कर्ज़ अदा कर दूंगी। और बाकी रकम का जल्दी बंदोबस्त कर दूंगी। अब वह अर्थी पकड़ने वाला शख्स खड़ा हुआ और सारे लोगो से मुखातिब हो कर बोला: असल बात ये है मरने वाले से 15 लाख लेना नही बल्के उनके देना है और उनके किसी वारिस को में जा...

सुदर्शन चक्र धारी श्री कृष्ण || About Shri krishnas sudarshan chakra

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सुदर्शन चक्र धारी श्री कृष्ण श्री कृष्ण का नाम सुनते ही हमारी आंखें केवल मुरली धर श्री कृष्ण को ही देखती हैं पर आज हम मुरली धर श्री कृष्ण के उस पहलू को जानेंगें जब उन्होंने सुदर्शन चक्र को धारण किया एक ओर श्री कृष्ण जहाँ मधुरता से भरी बाँसुरी की तान छेड़ा करते हैं..वही दूसरी ओर अपने कर्म की पूर्णता व भक्तों की रक्षा के लिए सुदर्शन चक्र के प्रहार से राक्षसों को भी मार गिराया करते हैं -:श्री कृष्ण का सुदर्शन:- सुदर्शन चक्र श्री कृष्ण अपनी तर्जिनि (अंगूठे के पास वाली) उंगली में धारण किया करते हैं..जो उनका एक ऐसा तेजस्वी शस्त्र है जिसकी कोई काट नही है..जिसे यदि प्रहार के लिए भेजा गया तो शत्रु का नाश करके ही लौटता है.. श्री कृष्ण के इस अचूक शस्त्र में एक हजार नुकीले दाँत हैं..जो हवा को काटते हुए उसी हवा में ही धधकती हुई अग्नि को उत्पन्न कर देतें है धर्मशास्त्रों के अनुसार यह अग्नि स्वरूप सूर्य के समान हैं व सूर्य तेज के रक्षक भी हैं भगवान के श्रेष्ठ तेज के रूप में प्रसिद्ध सुदर्शन एक ऐसा शस्त्र हैं जिनके ऊपर कोई विजय नही पा सकता -:रणभूमि के वीर सुदर्शन:- युद्ध मे जब भ...

क्यों कायस्थ 24 घंटे के लिए नही करते कलम का उपयोग

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क्यों कायस्थ 24 घंटे के लिए नही करते कलम का उपयोग जब भगवान राम के राजतिलक में निमंत्रण छुट जाने से नाराज भगवान् चित्रगुप्त ने रख दी  थी कलम !!उस समय परेवा काल शुरू हो चुका था  परेवा के दिन कायस्थ समाज कलम का प्रयोग नहीं करते हैं  यानी किसी भी तरह का का हिसाब - किताब नही करते है आखिर ऐसा क्यूँ  है ? कि पूरी दुनिया में कायस्थ समाज के लोग  दीपावली के दिन पूजन के  बाद कलम रख देते है और फिर  यमदुतिया के दिन  कलम- दवात  के पूजन के बाद ही उसे उठाते है I इसको लेकर सर्व समाज में कई सवाल अक्सर लोग कायस्थों से करते है ? ऐसे में अपने ही इतिहास से अनभिग्य कायस्थ युवा पीढ़ी इसका कोई समुचित उत्तर नहीं दे पाती है I जब इसकी खोज की गई तो इससे सम्बंधित एक बहुत रोचक घटना का संदर्भ हमें किवदंतियों में मिला I कहते है जब भगवान् राम दशानन रावण को मार कर अयोध्या लौट रहे थे, तब उनके खडाऊं को राजसिंहासन पर रख कर राज्य चला रहे राजा भरत ने  गुरु वशिष्ठ को भगवान् राम के राज्यतिलक के लिए सभी देवी देवताओं को सन्देश भेजने की  व्यवस्था करने को कहा I गुरु...