सुदर्शन चक्र धारी श्री कृष्ण || About Shri krishnas sudarshan chakra
सुदर्शन चक्र धारी
श्री कृष्ण
श्री कृष्ण का नाम सुनते ही हमारी आंखें केवल मुरली धर श्री कृष्ण को ही देखती हैं
पर आज हम मुरली धर श्री कृष्ण के उस पहलू को जानेंगें जब उन्होंने सुदर्शन चक्र को धारण किया
एक ओर श्री कृष्ण जहाँ मधुरता से भरी बाँसुरी की तान छेड़ा करते हैं..वही दूसरी ओर अपने कर्म की पूर्णता व भक्तों की रक्षा के लिए सुदर्शन चक्र के प्रहार से राक्षसों को भी मार गिराया करते हैं
-:श्री कृष्ण का सुदर्शन:-
सुदर्शन चक्र श्री कृष्ण अपनी तर्जिनि (अंगूठे के पास वाली) उंगली में धारण किया करते हैं..जो उनका एक ऐसा तेजस्वी शस्त्र है जिसकी कोई काट नही है..जिसे यदि प्रहार के लिए भेजा गया तो शत्रु का नाश करके ही लौटता है..
श्री कृष्ण के इस अचूक शस्त्र में एक हजार नुकीले दाँत हैं..जो हवा को काटते हुए उसी हवा में ही धधकती हुई अग्नि को उत्पन्न कर देतें है
धर्मशास्त्रों के अनुसार यह अग्नि स्वरूप सूर्य के समान हैं व सूर्य तेज के रक्षक भी हैं
भगवान के श्रेष्ठ तेज के रूप में प्रसिद्ध सुदर्शन एक ऐसा शस्त्र हैं जिनके ऊपर कोई विजय नही पा सकता
-:रणभूमि के वीर सुदर्शन:-
युद्ध मे जब भगवान शत्रुओं को मारने के लिए सुदर्शन चलाते हैं तब दैत्यों की सेना में प्रवेश कर..ये उनके बीच हाहाकार मचा देता है
उन सभी का प्रहार सहन करते हुए..उन्हें मार कर उनके रक्त (खून) से ही श्रृंगार कर लेता हैं
लेकिन किसी भी शत्रु को इतना भी अवसर नही देता कि वह सुदर्शन पर प्रहार करने का साहस भी जुटा पाए..
ऐसा वेग है इसका
-:सुदर्शन की प्राप्ति:-
वैष्णव ग्रन्थों के अनुसार सुदर्शन भगवान का ही एक अवतार है
अन्य पुराणों में भगवान विष्णु ने सुदर्शन को शिव के द्वारा प्राप्त किया है..ऐसी भी कथा प्राप्त होती है..
वहीं श्री विष्णु के चार आयुधों में से एक सुदर्शन विष्णु पुराण के अनुसार भगवान द्वारा ही प्रकट है
-:श्री कृष्ण के जीवन में सर्वप्रथम सुदर्शन:-
1- श्री कृष्ण ने जब गिरिराज जी को अपनी उंगली के नख पर धारण किया था तब प्रलयंकारी वर्षा से व्रज की रक्षा के लिए सुदर्शन को पूरे व्रज के ऊपर रहने की आज्ञा दी थी..
2- श्री कृष्ण ने पाँच सिर वाले मुर नाम के राक्षस के एक साथ पाँचों मस्तक काटने के लिए सर्वप्रथम सुदर्शन को प्रयोग में लिया था
भक्तों और पृथ्वी के रक्षक सुदर्शन का श्री कृष्ण चरित्र निर्माण में सहयोग
सुदर्शन पर भगवान श्री कृष्ण के द्वारा भक्तों व पृथ्वी की सुरक्षा का विशेष कार्य सौपा गया है..क्योंकि धर्म के अनुसार..
पृथ्वी की रक्षा भक्तों की रक्षा से ही संभव है
जैसे सुदर्शन नें राजा अम्बरीष की रक्षा दुर्वासा ऋषि के क्रोध से की थी
वास्तविकता में सुदर्शन भक्तों के उन पापों को नाश करता है..जो भगवान की सेवा में आड़े आते हैं..
इसलिए कई विद्वानों ने सुदर्शन कवच के पाठ को अधिक महत्व भी दिया है..
जिसे करने से हमारे पाप हम पर बुरा प्रभाव नही डाल पाते..और तभी हम भगवान की शरणागत हो कर उनका चिंतन, भजन व पूजन कर पातें हैं
-:विनाश कारी सुदर्शन से डरते थे लोग:-
सुदर्शन हवा में ही जिस अग्नि को उत्पन्न करता था उसे देख कर सुदर्शन का भय लोगों के मन मे भारी रूप में बैठा हुआ था..वे भगवान के इस शस्त्र के दर्शन से भयभीत रहते थे
-:इन परिस्थितियों में श्री कृष्ण करते थे सुदर्शन का प्रयोग:-
भगवान हमेशा ही अत्यधिक विपरीत परिस्थिति (so much negative situation) में सुदर्शन का प्रयोग किया करते थे..
जैसे-व्रज की रक्षा के लिए व युद्ध मे कई योद्धाओं को एक साथ मारने हेतु आदि
भक्तों के लिए भगवान ने कई अवतार लिये हैं जिनमे से एक सुदर्शन चक्र भी अवतार है
हमारी विपदाओं का नाश करने वाले भगवान के स्वरूप सुदर्शन चक्र को हम हृदय से प्रणाम करते हैं..!
जय जय श्यामाश्याम..🙏
श्री कृष्ण
श्री कृष्ण का नाम सुनते ही हमारी आंखें केवल मुरली धर श्री कृष्ण को ही देखती हैं
पर आज हम मुरली धर श्री कृष्ण के उस पहलू को जानेंगें जब उन्होंने सुदर्शन चक्र को धारण किया
एक ओर श्री कृष्ण जहाँ मधुरता से भरी बाँसुरी की तान छेड़ा करते हैं..वही दूसरी ओर अपने कर्म की पूर्णता व भक्तों की रक्षा के लिए सुदर्शन चक्र के प्रहार से राक्षसों को भी मार गिराया करते हैं
-:श्री कृष्ण का सुदर्शन:-
सुदर्शन चक्र श्री कृष्ण अपनी तर्जिनि (अंगूठे के पास वाली) उंगली में धारण किया करते हैं..जो उनका एक ऐसा तेजस्वी शस्त्र है जिसकी कोई काट नही है..जिसे यदि प्रहार के लिए भेजा गया तो शत्रु का नाश करके ही लौटता है..
श्री कृष्ण के इस अचूक शस्त्र में एक हजार नुकीले दाँत हैं..जो हवा को काटते हुए उसी हवा में ही धधकती हुई अग्नि को उत्पन्न कर देतें है
धर्मशास्त्रों के अनुसार यह अग्नि स्वरूप सूर्य के समान हैं व सूर्य तेज के रक्षक भी हैं
भगवान के श्रेष्ठ तेज के रूप में प्रसिद्ध सुदर्शन एक ऐसा शस्त्र हैं जिनके ऊपर कोई विजय नही पा सकता
-:रणभूमि के वीर सुदर्शन:-
युद्ध मे जब भगवान शत्रुओं को मारने के लिए सुदर्शन चलाते हैं तब दैत्यों की सेना में प्रवेश कर..ये उनके बीच हाहाकार मचा देता है
उन सभी का प्रहार सहन करते हुए..उन्हें मार कर उनके रक्त (खून) से ही श्रृंगार कर लेता हैं
लेकिन किसी भी शत्रु को इतना भी अवसर नही देता कि वह सुदर्शन पर प्रहार करने का साहस भी जुटा पाए..
ऐसा वेग है इसका
-:सुदर्शन की प्राप्ति:-
वैष्णव ग्रन्थों के अनुसार सुदर्शन भगवान का ही एक अवतार है
अन्य पुराणों में भगवान विष्णु ने सुदर्शन को शिव के द्वारा प्राप्त किया है..ऐसी भी कथा प्राप्त होती है..
वहीं श्री विष्णु के चार आयुधों में से एक सुदर्शन विष्णु पुराण के अनुसार भगवान द्वारा ही प्रकट है
-:श्री कृष्ण के जीवन में सर्वप्रथम सुदर्शन:-
1- श्री कृष्ण ने जब गिरिराज जी को अपनी उंगली के नख पर धारण किया था तब प्रलयंकारी वर्षा से व्रज की रक्षा के लिए सुदर्शन को पूरे व्रज के ऊपर रहने की आज्ञा दी थी..
2- श्री कृष्ण ने पाँच सिर वाले मुर नाम के राक्षस के एक साथ पाँचों मस्तक काटने के लिए सर्वप्रथम सुदर्शन को प्रयोग में लिया था
भक्तों और पृथ्वी के रक्षक सुदर्शन का श्री कृष्ण चरित्र निर्माण में सहयोग
सुदर्शन पर भगवान श्री कृष्ण के द्वारा भक्तों व पृथ्वी की सुरक्षा का विशेष कार्य सौपा गया है..क्योंकि धर्म के अनुसार..
पृथ्वी की रक्षा भक्तों की रक्षा से ही संभव है
जैसे सुदर्शन नें राजा अम्बरीष की रक्षा दुर्वासा ऋषि के क्रोध से की थी
वास्तविकता में सुदर्शन भक्तों के उन पापों को नाश करता है..जो भगवान की सेवा में आड़े आते हैं..
इसलिए कई विद्वानों ने सुदर्शन कवच के पाठ को अधिक महत्व भी दिया है..
जिसे करने से हमारे पाप हम पर बुरा प्रभाव नही डाल पाते..और तभी हम भगवान की शरणागत हो कर उनका चिंतन, भजन व पूजन कर पातें हैं
-:विनाश कारी सुदर्शन से डरते थे लोग:-
सुदर्शन हवा में ही जिस अग्नि को उत्पन्न करता था उसे देख कर सुदर्शन का भय लोगों के मन मे भारी रूप में बैठा हुआ था..वे भगवान के इस शस्त्र के दर्शन से भयभीत रहते थे
-:इन परिस्थितियों में श्री कृष्ण करते थे सुदर्शन का प्रयोग:-
भगवान हमेशा ही अत्यधिक विपरीत परिस्थिति (so much negative situation) में सुदर्शन का प्रयोग किया करते थे..
जैसे-व्रज की रक्षा के लिए व युद्ध मे कई योद्धाओं को एक साथ मारने हेतु आदि
भक्तों के लिए भगवान ने कई अवतार लिये हैं जिनमे से एक सुदर्शन चक्र भी अवतार है
हमारी विपदाओं का नाश करने वाले भगवान के स्वरूप सुदर्शन चक्र को हम हृदय से प्रणाम करते हैं..!
जय जय श्यामाश्याम..🙏
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